GUDI PADWA KYU MANAYA JATA HAI?

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GUDI PADWA KYU MANAYA JATA HAI?
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हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको internet sikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आज एक बहुत ही स्पेशल दिन है ख़ास करके हामारे महाराष्ट्रियन दोस्तों के लिए.आज 13 मार्च है और आज gudi padwa है,जैसे हर देश के लोगो का नया साल आता है ठीक ऐसे ही महाराष्ट्रियन लोगो के नए साल को gudi padwa काहा जाता है.और में आजके यह सुभ अबसर पार दिल से सभीको गुडी पडवा की सुभोकामोनाये देना चाहता हु. और आज में आपको बाताऊंगा gudi padwa से जुड़े हुए कुछ अंजाने काहानी,जैसे गुडी पडवा क्यों मानाया जाता है?और कबसे gudi    padwa मानाया जा राहां है?और भी गुडी पडवा से जुड़े जोह भी फैक्ट है वोह में इस पोस्ट में बाताने वाला हु.

Gudi Padwa से जुड़े कुछ बाते?गुडी पडवा क्यों मानाया जाता है?

फाल्गुन के जाने के बाद उल्लासित रूप से चैत्र मास का आगोमोन होता है.चहौर प्रेम के रंग बिखरा होता है.प्रकृति आपने पुरे सबर पार होती है.दिन हालकी तपिश के साथ आपने सुन्हेरे रूप में आता है तोह राते छोटी होने के साथ ठंडक का अहसास कराती है.मन भी बाबरा होकर दुनिया के सोंदोर्यो में खो जाने को बेताब हो उठता है.यह अबसर है नब्सृजन के नबौस्था का,जगत को प्रकृति के प्रेम्पस में बाँधने का.पौरानिक मान्यतायो को समझने और धार्मिक उद्द्येशो को जानने का.येही है नाबौत्सव,भारतीयों संस्कृति का देदिस्प्मन उत्सव.चैत्र नाबरात्री का आगोमन,परम बहम दारा सृजित श्रृष्टि का जनम दिबोश,गुडी पडवा का बिशेष अबसर.भारतीयों संस्कृति में गुडी पडवा को चैत्र मास के शुक्लो पक्ष्य की प्रतिपद को बिक्रम संबात के नए साल के रूप में मानाया जाता है.इस तिथि से पौराणिक और ऐतिहासिक दोनों प्रकार की ही मान्योतायो जुड़े हुए है.ब्रहम पूरन के अनुसार चैत्र प्रतिपद से ही ब्रम्भा ने श्रृष्टि की रचना प्रराम्भ  की थी.इसी तरह के उल्लेख अर्थाबेदाद और सत्पात ब्रम्भोंन में भी मिलते है.इसी दिन चैत्र नबरात्रि भी प्रारम्भ होता है.

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गुडी पडवा क्यों मानाया जाता है?

लोक मान्यतायो के अनुसार इसी दिन भगबान राम का और फिर महाभारत काल में जुद्दिस्थिर का राज्ज्यरोहन किया गया था.इतिहास बाताता है की इस दिन मालबा के नरेश बिक्रमादित्त्यो ने संखो को पराजित कर बिक्रम संबात का प्रबोर्तन किया था.gudi padwa,होला  महोल्ला ,जुगाडी,बिशु,बैसाखी,काश्मीर ,तिरुबिजा आदि सभीकी तिथि इस नाबोसनबत्सर के आसपास आता है.और इसी दिन सत्ययुग की सुरुवात माना जाता है.इसी दिन भगबान बिष्णु ने मत्स्य अवतर लिया था.इसी दिन से रात्री की अपेक्षा दिन बड़ा होने लागता है.

यह था gudi padwa की पूरी काहानी.में उम्मीद करता हु की आपको अब गुडी पडवा के बारे में जोह भी confusion था सब क्लियर हो गया इस पोस्ट में.फिर भी आगर आपके पास gudi padwa से जुड़े हुए कुछ भी सावाल रहता है तोह आप मुझे कमेंट box में कमेंट करके आपना सवाल पूछ सकते है.और गुडी पडवा से जुड़े हुए यह जानकारी आपको कैसा लागा आप निचे बाताने ना भूले.

Mithun
हेल्लो दोस्तों मेरा नाम मिथुन है,और में इस वेबसाइट को 2016 में बानाया हु.और इस वेबसाइट को बानानेका मेरा मूल मकसद यह है की लोगो को इन्टरनेट के माध्यम से हिंदी में इन्टरनेट की जानकारी प्रदान करना.इसीलिए इस वेबसाइट का नाम Internetsikho राखा गया है.

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