हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिर से आप सभीको internet sikho में बहुत बहुत स्वागत है .15 अगस्त एक ऐसा दिन है जोह हमें हामारी आजादी की याद दिलाता है ,उन देश भक्तो को याद दिलाता है जिन्होंने देश के लिए आपना घर ,परिबार और आपना ज़िन्दगी तक गावा दिया है ,हाम सभी मिलकर उस सहिदो को कोटि कोटि प्रणाम देना चाहता हु .जय हिन्द ,HAPPY INDEPENDENCE DAY.बन्दे मातरम .
दोस्तों आज के इस दिन में 1947 को तोह भारत को आजादी मिल गया था .लेकिन हम सबको क्या आजादी के बारे में सही से किसीको पता है की इसके पीछे किसका सबसे बड़ा अबदान है ?आगर नहीं पता है तोह आपको यह पोस्ट को एकबार जरुर पढना चाहिए क्यों की इस पोस्ट के माध्यम से आपको यह समझाने का कौशिश किया है की भारत के आजादी के पीछे क्या क्या छुपा है जोह जादा से जादा भारतबासियो को नहीं मालूम है .तोह कृपया करके पोस्ट को पढ़े और भारत के आजादी के बारे में सच्चा काहानी जाने .
आपने दोस्तों को साथ भारत के 74 तम independence की बाधाई दे इस लिंक के माध्यम से
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भारत के आजादी से जुड़े हुए सच्चा काहानी
दोस्तों बात है 1939-1945 तक की इन 6 बर्षो को दितियो बिश्वयुद्धो के नाम से जाना जाता है .और यह दितियो बिश्वयुद्धो ने बहुत कुछ बदल दिया है .ऐसे तोह दितियो बिश्व्यायुद्धो यानि के सेकंड वर्ल्ड war आरंभ करने का सारा परिकल्पना अडोल हिटलर को ही जाता है .हिटलर की पुरे बिस्स्य पार आरिनस के हुकूमत करने की अभिलाशन में ही सेकंड worlwarशुरू किया .हालांकि युद्ध आदमे जोह हिटलर ने जोह अपराध किये वोह मानाबता के खिलाफ थे .60 लाख येहुदी का कतल बेशक से अमानता है .लेकिन दोस्तों सच तोह यह भी है की आगर हिटलर ना होता और आगर सेकंड worldwar शुरू ना होता तोह सायेद भारत को आजादी में कम से कम और 40 साल या इससे भी जादा समय लाग जाता .अंग्रेजो का आगर किसीने नुक्सान किया तोह वोह सिर्फ सुभाष चन्द्र बोस और हिटलर ने ही किया .हिटलर के कारण ही सेकंड worldwar ख़तम होने के 2 साल के अन्दर ही अंग्रेज भारत छोरकर चले गए इसीलिए नहीं की अंग्रेज सही में भारत को आजादी देना चाहते थे वल्कि उन्हें मजबूरी में ऐसा करना पड़ा था ,क्यों की सेकंड worldwar ने ब्रिटिश साम्राज्य के आर्थिक ब्यबस्था की कमर तोड़ कर राख दिया था .
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भारत को कैसे आजादी मिला था ?
और 1945 के बाद ब्रिटेन खुद अमेरिका के कर्जे में आ चूका था .और ब्रिटेन एक महाशक्ति के रूप में आपने साथ पूरी तरह से खो चूका था .नेताजी का आजाद हिन्द फ़ौज ने अंग्रेजो का काफी नुक्सान किया और हिटलर ने पूरी ब्रिटेन और फ्रांस के कमर ही तोड़ कर राख दिया उसने इतना बुरा मारा की अंग्रेजो के पूरी आर्थिक बेबोस्था ही तबाह हो गया .अंग्रेज ना सेना रखने का काविल रहे और ना ही उनके पास इतने पैसे थे की वोह दुसरे देशो में आपना साशन कायेम राख सके .और इसका नतीजा यह हुआ की ब्रिटेन ने ना सिर्फ भारत को छोरा वल्कि jordan,श्रीलंका मलेसिया ,मयन्मार सब छोर दिया .और फ्रांस ने भी इसी कारन कोम्बिडिया और विएतनाम को आजाद कर दिया .और ठीक इसी प्रकार से नेथार्लंद को भी इन्दोनिसिया को आजाद करना पड़ा था .तोह दोस्तों आप ही जारा सोचिये आगर हिटलर ना होता तोह ना कोई दितियो बिश्य्युद्धो होता और ना ही हामे आजादी मिलता और अंग्रेज भारत को ऐसे ही लुटते रहते .और यह एक बेहत कड़वा सच है की अंग्रेजो का भारत में सबसे अच्छा दोस्त था मोहन दास करम चाँद गाँधी .अंग्रेजो ने भारतीयों के जितना खून चुसना था वोह 1910 तक ही चूस चुके थे .लेकिन उसके बाद वोह भारत में सिर्फ इसीलिए रूखे थे ताकि उन्हें बिश्ययुद्धो लड़ने के लिए सैनिक भारत से मिलते रहे .और गाँधी जी के कारण ही अंग्रेज आपने सेनाओं में भारतीयों सेनाओ को भर्ती करा पाए .और गांधी जी ने खुले आम भारतीयों यूबो को अंग्रेजो के साथ देने के लिए बोला था .और उनका कहना था तुम मुझे खून दो और में तुम्हे आजादी दूंगा .खून भी एक दो बूँद नहीं वल्कि इतना खून की सारा महासागर तैयार हो जाए ,और उस महासागर में ब्रिटिश साम्राय्ज्य को डुबाकर मार दूंगा यह नारा दिया था नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने .
भारत के आजादी के पीछे किसका सबसे बड़ा योगदान है ?
1938 में गांधी जी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद की लिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को चुना था मगर गांधीजी को सुभाष बाबु के कार्य पक्रिया पसंद नहीं आया और इस दोरान यूरोप में दितियो बिश्ययुद्धो के बादल छा गए .और सुभाष चन्द्र बोस ने चाहता था की इंग्लैंड के इस कठिनायो का लाभ उठाकर अब भारत में सतंत्रता के संग्राम शुरू किया जाए .लेकिन गाँधी जी उनके इस बिचार से सहमत नहीं थे और सुभाष चन्द्र बोस ने यूरोप में रहते हुए यूरोप के राजनीति हालचाल का गायन अरजन किया था .और उसके बाद भारत को सतंत्रता करनेका उद्द्येश्यो से आजाद हिन्द फ़ौज का संगठन किया था .यूरोप ने इटली के नेता मुसोलिइओने से मिली बोर्लिल में जार्मानी के तत्कालीन जर्माषा हिटलर से मुलाक़ात की और भारत को सतंत्रता दिलाने के लिए जार्मानी और जापान से सहायता भी मांगे थे . सेकंड worldwar के दोरान जापानी नेत्रितो ने एक योजना को मंजूरी दिया था और उसका मकसद था अमेरिका और ब्रिटेन के साथ चल रही लड़ाई को तेजी से अपने पक्ष में करके नतीजे तक पंहुचा देना और भारत को अंग्रेजी राज से मुक्त करवाना .उस समय के जापान के प्रधान मंत्री हिदेकी तोजो ने जापान के संसद में भासन देते हुए कोई बार भारत का जिक्कर किया था .और भारतीयों से उनका कहना था की वोह इस बिस्श्ययुद्धो का फ़ायदा उठाये और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ खड़े हो जाए और भारतीयों खुदके लिए भारत की स्थापना करे .लेकिन दोस्तों वोह काहाबत तोह आपने सुना ही होगा की इतिहास वोह लिखते है जोह जिन्दा बचते है और आधुनिक भारत के इतिहास के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ .1947 में सतंत्र का हस्तान्तर अंग्रेजो से भारतीयों कांग्रेस पार्टी के पास चला गया था .और इसके बाद कांग्रेस इतिहास में यह धारोना फैलाया की भारत को आजादी गांधीजी के अहिंसा badi आन्दोलन से ही मिली है .लेकिन दोस्तों सच्चाई तोह यह था की ना तोह हिटलर होता और ना ही दितियो बिश्य्योयुद्धो होता और ना ही कोई आजादी होता .मानता हु की गाँधी जी के तरीके से आजादी मिल तोह जाता था लेकिन इस पक्रिया में 40 साल और लाग जाता था .और अंग्रेज ऐसे ही भारत को लुटते रहते .
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भारत के आजादी से गाँधीजी का क्या अबदान है ?
बस्ताब में 1930 साल से ही गांधीजी के लोकोप्रियोता कम होते जा रहा था .1920 के असहयोग आन्दोलन एकदम से आपोस लिए जाने से गाँधी जी के बाकि के आन्दोलन में लोगो में पूरा उत्साह नहीं दिखाई दिया .और अंत में कांग्रेस और गाँधी जी ने भारत छोरो आन्दोलन शुरू किया करो या मरो नारे के साथ .और सुभाष चन्द्र बोस ने यह पक्रिया 1938 में ही बाताया था क्यों की उन्हें पता था की यूरोप राजनीतिक असंतुलन से गुजर रहे है .और युद्धों के बादल छाये हुए है ,और येही सही मोका है अंग्रेजो के साथ लड़ने का .हालाँकि अंग्रेजो हुकूमत ने तोप कांग्रेस लीडर्स को ग्रेफ्तार करके जेल में दाल दिया और कुछ ही महीने में आन्दोलन कमजोर पढ़ गया और देखते ही देखते आन्दोलन ख़तम हो गया .लेकिन सुभाष चन्द्र बोस ने फिर भी हार नहीं माना था और वोह जापान के सहायता से लढाई को जारी राखा और बेशक से अंग्रेज को भारत छोरने के लिए मजबूर किया .उस समय ब्रिटिश इंडियन आर्मी में बगावत के सुर उठेने लागे थे .बास्ताब में अंग्रेज भारत में सतंत्रता आन्दोलन को दाबाने के लिए और युद्धों में लड़ने के लिए भारतीयों सेनाओ का ही इस्तेमाल करते थे और वफादार सिपाही के बिना अंग्रेज साम्रज्ज्यो के लिए भारत में हुकूमत करना मुश्किल हो गया था . क्यों की अंग्रेजो के पास इतने अंग्रेज सैनिक नहीं था जिनके मदत से वोह राष्ट्रियो आन्दोलन को दाबा सके .और इसीके चलते अंग्रेजो को लागने लागा था की भारत में अब बड़े पेमानो पार अंग्रेज लोगो का कत्ले आम हो सेकता है इसीलिए उन्होंने सत्ता हस्तांतरण में इतना जल्दबाजी दिखाया .यह बेशक से दितियो बिश्ययुद्धो का ही नतीजा था ज्सिमे ब्रिटेन के अर्थोनैतिक बेबोस्था तोड़ कर राखे थे .और दितियो बिश्ययुद्धो बेशक से हिटलर के वजह से हुआ था .
note. यह सच्चा जानकारी ऐताहासिक घटना को बजाई राखते हुए यह पोस्ट लिखा गया है .
दोस्तों मुझे उम्मीद है की आपको भारत के आजादी से जुड़े यह सच काहानी आपको पसंद आया होगा .और इस काहानी से जुड़े हुए कोई भी सुझाब है तोह आप मुझे कमेंट करके पूछ सकते है .और ऐसे ही भारत से जुड़े हुए हर एक सच काहानी के बारे में जानकारी आपने मेल बॉक्स में प्राप्त करने के लिए internet sikho को सब्सक्राइब करना ना भूले इससे आपको हर एक पोस्ट की अलर्ट आपके मेल बॉक्स में मिलते रहेगा जोह की आप कभी भी आसानी से ओपन करके पढ़ सकते है .
DEAR SIR HAME AAPKA YE LEKH PASAND AAYA QKI INDIA K HISTORY OR POLITICAL SCIENCE ME YE SB N SAMAJH PAAYE THE
THANKS SIR,MUJHE KHUSI HAI KI AAPLOGO TAK YEH JAANKARI MEIN PAHUCHA SEKA HU.
Mai aapko thanks kahna chahta hun.
Kyuki aapki wajah se mujhe yah bharat ke azadi ki sachchayi pata chali.
sukriya.
I am Deepak Kumar Mukhiy bihar se madubani jila
Nice