हेलो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको internetsikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे की आज से 10/20/50 साल बाद लोग साधी को लेकर कितना उतसाहित होंगे या फिर धीरे धीरे यह प्रथा/रीती लुप्त होते जायेगा. ऐसे तोह यह साधी के प्रथा पुरे ख़तम नहीं हो सकता है .लेकिन हमसब चाहते है की यह प्रथा ख़तम हो जाना चाहिए .मेरे कहने का मतलब साधी तोह होगा लेकिन उसके साथ साथ जोह अलग से खर्चे करके सबको दिखाने के जोह प्रथा है वोह ख़तम होना चाहिए. आईन के हिसाब से जोह रजिस्ट्री करके किया जाता है वही काफी है.लेकिन हमसब सभीको दिखाने के लिए पति पत्नी को सजाकर लोगो के सामने represent करके साधी के यह अनुष्ठान किया जाता है.
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साधी को लेकर आनेवाले समय में लोगो के मन में कितना उतसाह रहेगा?
एक लड़की के जब इस धरती में किसी भी परिबार में जन्म होता है उसके कुछ दिनों बाद से ही उनके माता पिता उनके लिए पैसा एकखट्टा करना शुरू कर देता है.क्यों ?क्यों की उस लड़की बड़ी होगी तब उसकी साधी करानि है इसके लिए खर्च होगा.उन्हें असबाब पत्र /सोने के गहने सहित और पैसे देकर ससुराल में भेजना होगा .लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोगो को यह बात समझ में नहीं आता है की पैसा उनके साधी के लिए नहीं वल्कि उन्हें अच्छे से प्रतिष्ठित करने में खर्च करना है ताकि आगे वह प्रतिष्ठित होकर खुद आपने साधी के लिए तैयार कर सके.लेकिन आजके दिन में हमसभीके पिता माता के दिमाग में एहि बैठा है की उनके साधी के लिए पैसा जमाना जरुरी है नाकि उनके अच्छे से पढ़ाया जाए और वह खुद आपने पैर में खड़ा रहकर खुदके साधी के लिए खर्चा उठा सके.
साधी को लेकर आजके दिन में कुछ दुःखजनक बाते
एक पिता आपने पुरे जीबन में पैसे संचय करके रखता है सिर्फ उसके बेटी के साधी के लिए.और फिर बेटी के साधी में ऐसे कुछ लोग आते है और खाना खाते हुए कहते है इसमें नमक नहीं यह खाना बराबर नहीं पका है इत्यादि इत्यादि।यह सब बाते सुनने में एक पिता होकर बहुत ही बुरा लगता है.
आपलोगो ने ऐसे भी देखे होंगे की सधी में ऐसे कुछ लोग भी आते है जोह की बर बहू को देखने नहीं वल्कि साधी में क्या क्या सामान मिल रहा है उससे देखने में ज्यादा समय देते है.और इस साधी में देते हुए सामान को देखकर ही पता करते है की लड़की के घर वाले कितने अच्छे घर के है या नहीं।
और साधी में दूल्हा दुल्हन को लेकर तोह इस तरह के बाते एक दूसरे में चर्चे तोह चलते ही रहता है.जैसे लम्बा लड़के के छोटा बहु होने से,मोटे लड़के के पतले बहु होने से एक दूसरे के बारे में लोग चर्चे करते रहता है.लेकिन एक बात समझ में नहीं आया की जोह साधी कर रहा है उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं लेकिन जिन्हे आमंत्रित करके साधी में बुलाये वही जोड़ी के बारे में चर्चे शुरू कर देते है.मेरे हिसाब से इस तरह के चर्चा बंध होना चाहिए.क्यों की आपको निमंत्रण देकर आपको बुलाया है आपको आना है आयो और खाना खाओ और जाओ.ना की आपको चर्चे करने के लिए साधी में बुलाया है.
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तोह यह सारे घटना जोह आजके दिनों के साधी में ज्यादातर देखने को मिलता है.एक साधी में लाखो रुपया खर्च कर देते है जोह की एक घरोया अनुष्ठान करके भी उस साधी को संपन्न किया जा सकता है.और एक दंपति को उनके माता पिता पडोसी आशिर्बाद देते है उनके लिए वही काफी है.और कुछ दिनों बाद लोग ऐसे ही जान जाएगा की यह दोनों पति पत्नी है.और इसके लिए सभीको बुलाकर ज्यादा से ज्यादा पैसा खर्चा करके rpresent करके बताने का कोई जरुरत नहीं है.
मेरे हिसाब से यह होना चाहिए की जिसके जितने खर्च करने का खमता है वह उसी हिसाब से साधी में खर्च करे.क्यों मुझे नहीं लगता है की यह साधी के अनुष्ठान के प्रथा पूरी तरह से कभी ख़तम होगा.क्यों की हर परिबार में ही कुछ ना कुछ सोचकर रखता है की उनके लड़की/लड़के की साधी बहुत धूमधाम से करायेंगे और सभीको दिखायेंगे साधी कैसे होता है.
very interesting , good job and thanks for sharing such a good blog
welcome dear