हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको internet sikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आज में आपलोगों से एक इसे सच्चाई के बारे में बाताने जा राहा हु जोह की पुरे सच्चाई जुड़े होंगे इस पोस्ट में.और इस पोस्ट से बहुत सारे लोगो को बुरा भी लाग सकता है,लेकिन सच है उसका सामना करना तोह जरुरी है और येही ज़िन्दगी का रास्ता है.लेकिन उम्मीद राखता हु की जोह लोगो को इस पोस्ट से बुरे लागेगा वोह भी धीरे धीरे positively इस बात को समझने लागेगा.
लोग मालिक से जादा manager बनना क्यों पसंद करता है?
दोस्तों में आप लोगो को एक लॉजिक बाता राहा हु पहले की जिन्होंने अंग्रेजी भाषा में पढ़ा वोह काहा पहुचे?और जिन्होंने आपनी मातृभाषा से पढ़कर आये है वोह काहा पहुचे?इस देश के जोह अर्थ बेबोस्था के सिखर में बैठे हुए लोग है ना जैसे धीरुभाई अम्बानी,बिरला परिबार,रुश्ली बढ़िया परिबार और भी ऐसे 72 परिबार है इस देश में.और इस 72 परिबार में से इन् तीनो को छोरकर बाकी 69 परिबार की सिर्शो पार जोह लोग बैठे है वोह लोग सब मातृभाषा से पढ़े हुए लोग है.कोई गुजरती,कोई महाराष्ट्रियन में कोई मलायालियम कोई तेलेगु में कोई हिंदी में औ र्कोई पंजाबी में कोई उर्दू में पढ़ा है और शीर्ष पार पहुचे है.
और आपको एक बात सुनकर और हासी आएगा की जोह लोह अंग्रेजी भाषा में पढ़कर आये उनलोग मातृभाषा लोगो के निचे 10/20 हाजार रूपया के लिए नौकरी कर राहा है.10000 के लिए नकर बने और अंग्रेजी से पढ़कर निकले.कोई cambridge से पढ़कर आया कोई लन्दन से कोई oxford से पढ़कर आये और वोह सब लोग इनके निचे नौकरी पार है 10/15/20 हाजार के लिए लेकिन जोह मालिक है वोह जिन्होंने कंपनी की एम्पायर खाडा किया है एक साम्राज्य खाडा किया है वोह लोग तोह सब आपने मातृभाषा के ही लोग है.
और आप अगर बैगानिक के लिस्ट देखेंगे तोह आप हैरान हो जांयेंगे छोटी की सारे बैगानिक इस देश में 1% को छोरकर सारे छोटी के बैगानिक इस देश में मातृभाषा के स्कूल से पढकर निकले है.आपको सबसे बड़ा एक बैगानिक का उदहारन देता हु जोह की हमारे देश के पुर्बो राष्ट्रपति रह चुके थे जिनके नाम है dr.abdul kalam और इन्होने मिसाइल बानानेका खेत्रो में इस देश को अत्त्योनिर्भर बानाया है और इन्होने इस देश में परमानु बोम का परिक्षण करवाया था श्री अटल बिहारी बाजपाई के जामाने में.उनकी बुद्धि का कामाल देखो की परमानु बोम का परिक्षण हो गया और अमेरिका जैसे देश को पाता ही नहीं चला.अमेरिका के जासूसी करने वाले satalite है हामारे इस स्पेस के उपर satalite के दरिये 11 miniute का जासूसी करते है हाम जैसे इहा बैठे है और इतना बड़ा समूह है इसका जासूसी वोह कर लेते है.वोह अमेरिकन बैगानिक को dr.abdul kalam जी का बुद्धि ने ऐसा चकराया की वोह कोई और ब्यस्त था और यहापार परमानु बोम पार परिक्षण पे परिक्षण हो गया और अमेरिका वाले हैरान और परीशान हो गए और सोचने लागे की भारत के लोग इतने होशियार कबसे हो गए.और यह होशियारी पाता है काहा से आये है अब्दुल कलम के तामिल बुद्धि में यह होशियारी निकले.यह कोई अंग्रेजी बुद्धि से नहीं निकाल सकते थे.
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दूसरा जोह बड़ा बैगानिक है इस देश में जोह की सबसे पहले सुपर कंप्यूटर बानाया था उसके नाम है dr. विजय भाटकर जी जोह की पूरी तरह से माराठी भाषा में पढकर एक बैगानिक बने थे.और एक जामाना ऐसा था की हमारे पास सुपर कंप्यूटर नहीं हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री राजिव गाँधी जी ने अमेरिका गए थे सुपर कंप्यूटर मांगने के लिए लेकिन अमेरिका ने माना कर दिया बोला की हाम सुपर कंप्यूटर किसीको नहीं बेच सकते है क्यों की हाम हामारी लेटेस्ट technolegy किसीको नहीं दे सकते है.फिर राजिव गाँधी अपना सा मुह लेकर आपोस आगया.
फिर dr .बिजय भाटकर के टीम ने राजीव गाँधी को काहा की आप हामको थोडा समय दीजिये और थोडा सा पैसा दीजिये हाम आपको सुपर कंप्यूटर अमेरिका से बेहतर बाना के देंगे.तोह यह सुनकर तोह पहले राजीव गाँधी को बिस्वास नहीं हुआ की ऐसा हो सकता है.लेकिन मरता क्या ना करता कोई चाह रहा नहीं था और सुपर कंप्यूटर बानाना ही था और कोई देने को हामे तैयार नहीं था तोह उन्होंने dr.बिजय भाटकर और उनके टीम को काम पार लागाया उनको प्रोजेक्ट sension करके दिया पैसा भी दिया.और dr.बिजय भाटकर ने आधे समय में ही दुनिया का सर्बोस्रेस्ठो सुपर कंप्यूटर बानाके दुनिया को दिखाया है.
और वोह सुपर ओम्पुटर अमेरिका के सबसे बेहतर कंप्यूटर से भी जादा बेहतर और जादा गति में काम करता है और कीमत भी बहु कम है.और भारत ने उसी सुपर कंप्यूटर के मॉडल में आजतक 50 से जादा सुपर कंप्यूटर बानाए और दुनिया के दुसरे के बाट दिए जोह वोहा के लिए और उन् देशो के लिए काम कर रहा है.canada का पूरा मौसम बिग्ज्ञान का बिभाग भारतीयों सुपर कंप्यूटर पे चलता है.
कनाडा जैसा आधुनिक देश में दुनिया के 20 देश में भारत के super computer लागे हुए है.और ध्यान दीजियेगा की dr बिजय भाटकर आसली में माराठी भाषा के एक छात्रो था और माराठी के साधारन मुन्सिपुलिटी के स्कूल से पढकर निकले थे.जिनमे हामारे नेताओ के बच्चे कभी झाकने को भी नहीं आते है.साधारन स्कूल से पढ़ा हुआ बाचचा अगर देश के लिए सुपर कंप्यूटर बाना सकते है और साधारन तामिल स्कूल से पढ़कर निकला हुआ बच्चे परमाणु जैसे बोम बना सकते है.
और हामारे देश में 1 लम्बी लिस्ट है बैगानिको के जिन्होंने मातृभाषा से पढ़कर निकले हुए है.और में छोटा सा एक बात बाताना चाहूँगा की जिन्होंने covent में से और पब्लिक स्कूल में से अंग्रेजी में पढ़कर जोह बच्चे निकले है ना वोह बैगानिक नहीं बने वोह seinticst नहीं बने वोह seinticst manager बन गए.seinticst होना एक अलग है और seinticst manger होना एक अलग बात है.seinticst वोही है जोह मूख शोध में लागता है और शोध के आगे बड़ते है seinticst manager वोह है जोह शोध को आगे बढ़ने में मदत करता है या सहयोग करता है.जैसे आपने आपने कुछ लिख रहे है लिखने के लिए कागज चाहिए तोह कागज किसी ने लाकर दे दिया वोह sientfic manager है और लिखने वाले seinticst है तोह इन् लोग sientfic manager बनकर रह जाता है convent और पब्लिक स्कूल के बच्चे जोह अंग्रेजी में पढ़कर निकलते है.क्यों की मूल बुद्धि चलती ही नहीं क्यों की अंग्रेजी में आप सोच नहीं सकते है क्यों की मातृभाषा आपके अंग्रेजी नहीं है. जोह आप मूल भाषा में सोच सकते है वोही भासा में आप कुछ कर सकते है.इसीलिए भारत के बैगानिक निकले तोह मातृभाषा में से सर्बोस्रेस्ठो उद्योग कर्मी निकले तोह मातृभाषा में से हर jaiga आप देखोगे तोह पाता चलेगा उनका background वोही है मातृभाषा का.
और देश चालानेका ठिका जिनको मिला है वोह नेता भी अधिकांश में हिंदी में ही पढ़े हुए है.तोह दोस्तों आप समझ ही गए होंगे की में कहना क्या चाह रहा था इस पोस्ट में.और यह पोस्ट आपको कैसा लागा आप जरुर निचे दिए हुए कमेंट box में comment करके बाताये.