हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको internetsikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आज में आपलोगों के लिए एक रियल और interesting पोस्ट लेकर आया हु.दोस्तों जब हाम बड़े आदमी होते है तोह हामको छोटे आदमी से sikhna एक शर्म की बात बन जाता है.लेकिन क्या आप भी इस बात को मानते है?अगर नहीं मानते है तोह बहुत ही आछा है.
आप किसीसे भी कुछ भी सिख सकते है
और अगर मानते है तोह आपके लिए ख़ास यह पोस्ट लिखने जा राहा हु तोह जरुर पुरे पोस्ट को पढने का इच्छा राखे.दोस्तों ऐसे जितना तक में जानता या मानता हु की आप जिससे भी कुछ सीखते हो वोह आपका गुरु ही बन जाता है चाहे वोह कोई भी रहे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.सिखानेवाला हामेशा गुरु ही रहता है.लेकिन सब कोई इस बात को नहीं मानते है और सबको यह बात आछा से समझाने के लिए में एक काहानी पेश करने जा राहा हु जोह की बहुत ही एक अच्छा काहानी है गुरु और सिस्स्य के बिच में जिससे छोटे और बड़े आदमी का फर्क आसानी से समझ में आजायेगा.
महादेव गोविन्द रानादेव जब मुंबई हाई कोर्ट का जार्ज था और उन्हें नया नया भासा सिखने का शौक था.जब उनके बराबरी दोस्त को बहुत अच्छा bangla आता था.तोह उन्होंने उससे गुरु बाना दिया.जितनी देर बराबर उनकी हजामत करता वोह उससे bangla सीखते.यह देखकर उनकी पत्नी बोली और किसीकोपाता चलेगा की की यह हाई कोर्ट के जज साहेब साधारन आदमी से भासा सिख रहे है.तब लोग कितने हासेंगे.जदी bangla sikhna ही है तोह किसी आछे से biddyan के मदत भी तोह ले सकते है ना.
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रानादेव ने यह सुनकर पत्नी को समझाया की ज्ञान तोह किसी से भी लिया जा सकता है.चाहे वोह साधारन आदमी ही क्यों ना हो.मुझसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है की में एक साधारन आदमी से भासा सिख राहा हु.ज्ञान की चाह राखनेवाला साधारन और असधारन में फर्क नहीं देखते है.वोह तोह किसी से शिक्षित होकर आपना ज्ञान की प्यास बुझाते है.ज्ञान जहा से भी मिले ले लेना चाहिए?जरुरी नहीं ज्ञान के लिए कोई biddyan की तालाश शुरू करदे.क्यों की ज्ञान किसीके पास भी हो सकता है.एक साधारन आदमी के पास भी.
दोस्तों इस पोस्ट में मैंने आपको यह समझाने के प्रयास किया है की आगर हामे कुछ sikhna है तोह हाम कही से भी सिख सकते है इसके लिए हामे आदमी के कोई छोटे और बड़े के उपर नहीं देखना चाहिए.तोह आपके क्या सुझाब है इस काहानी से आप जरुर हामारे साथ आपका सुझाब शेयर करे कमेंट box के माध्यम से.