हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको internetsikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों हामारे इस भारत देश में हामारे जैसे बहुत सारे लोग ऐसे है जोह की दुसरे जाइगा पे नौकरी करने जाते है लेकिन सच बात यह है की हामे वोह नौकरी करने में कोई खुसी नहीं मिलता है,फिर भी हामे जबरदस्ती वोह नौकरी करना पड़ता है,क्यों की हमारे नौकरशाही और राजनीति के कारन हाम मज़बूरी में वोहा फासे रहते है.इसके पीछे तोह एक ही कारन है की माहीने के अंत में मिलनेवाले राशि के लिए ही काम करते है.और वोह पैसा कभी हामारे काम पे आता है और कभी हाम उससे कम पैसे में भी चाला लेते है.तोह हामे ऐसे काम करना ही क्यों है जोह काम हामारे पसंद ही नहीं है.तोह कही ना कही आप भी यह तोह नहीं सोच राखे है की जब हामारे पास धन राशि जादा रहेगा तब ही हाम खुस रह पायेंगे.तोह क्या हामारे खुसी के लिए पैसा का अबदान बहुत जादा है? गोर से देखा जाए तोह हामारे खुसी के लिए आपने जीबन में पैसा का अबदान बहुत थोडा ही है.या फिर हाम यह भी सोच सकते है की पैसा हामारे जीबन में सिर्फ थोड़े समय के लिए ही खुसिया ला सकता है.उदाहरन के तोर पार देखा जाए तोह जब हाम कोई भी नए सामान खरीदते है तब हामे वोह सामान बहुत आछे लागता है लेकिन जब उसके jaiga पे किसी और एक नए सामान लाते है तब पुराने सामान को छोरकर नए सामान के तरफ आकर्षित होता है.और मेरे इस लम्बे चौड़े पोस्ट लिखने का मूल उद्द्येश्यो यह है की इस दुनिया में हामे पैसा कामाने के साथ साथ लोगो के साथ रिश्ता बानाना भी बहुत जरुरी है.जैसे हामने आपको उपर बाताया है की पैसा हामे सिर्फ थोड़े समय के लिए ही खुसी दे सकता है.लेकिन रिश्ता हमारे जीबन के हर एक पल में साथ देता है जिससे हामारे जीने का अंदाजा भी बदल जाता है और हामारे जीबन में कितने भी ना दुःख क्यों ना आये फिर भी हाम इस ज़िंदगी को जीना पसंद करते है क्यों की हमारे साथ लोगो के जोह आछा रिश्ता बने है.तोह आप भी आगर इतने दिन से यह सोचते है आरहे है की पैसा ही सबकुछ है या फिर रिश्ते नाम के कोई चीज नहीं होता है इस दुनिया में,और सायेद बहुत लोग यह भी सोच राखते होंगे की हामारे पास पैसा है तोह हाम रिश्ते भी खरीद सकते है जरुरत पढने पार.तोह आप भी अगर यह सोच राखते है तोह आपको जरुर एकबार यह पोस्ट को पढना चाहिए क्यों की हाम इस पोस्ट में आपको एक काहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करूँगा की दुनिया में पैसा कामाने के साथ साथ रिश्ता कामाना भी जरुरी है .तोह कृपया करके पुरे पोस्ट को पढ़े क्यों की यह एक सच्ची काहानी है और यह काहानी मेरा तोह नहीं है किसी एक दोस्त का है.लेकिन में इस काहानी को और भी सरल तरीके से आपको समझाने के लिए में और मेरे एक दोस्त के बिच इस काहानी को समझाने जा राहा जिससे आपको समझने में आसान होगा.
अनुक्रम ( छुपाये )
दुनिया में पैसा कामाने के साथ साथ रिश्ता कामाना भी जरुरी है
दोस्तों ऐसे काहानी तोह थोडा लम्बा है लेकिन पुरे gurantee के साथ आपको कह सकता हु की आप अगर इस काहानी को पुरे पढेंगे तोह आप आपने आखो के आशु रोक नहीं पायेंगे क्यों की येही काहानी के माध्यम से आजके दिन का सच्चाई आपलोगों के साथ शेयर करने जा राहा हु.ऐसे तोह यह काहानी बहुत ही पुरानी है लागभग 12 साल पहले का यह काहानी मानकर चलते है.एकबार का बात है में आपने एक खास दोतो के passport बानाने के लिए passport office डेल्ही में उनके साथ गए थे.और हाम सब जानते ही है की 12 साल पहले तोह internet का जामाना इतना strong था नहीं तोह इसी कारन कोई online सुबिधा भी मजूद नहीं थी जैसे अभी हामसब घर बैठे करते है.और उस समय passport office में दालालो का राज चलता था क्यों की उन दिनो के लोग पढ़े लिखे तोह था नहीं जादा और दालालो ने इसीका फाइदा उठाते हुए लोगो से पैसे लेकर उससे form बेचता था और भरने में मदत करता था.और मेरे जोह दोस्त था उनके कोई urgent काम के लिए passport का होना बहुत जरुरी था,लेकिन वोह इस दालाली के चक्कर में पैसा देकर फासना नहीं चाहता था.
फिर हाम passport के लाइन में लागे और पासपोर्ट के तत्काल फॉर्म भी संग्रह कर लिया.और उससे भर भी लिया,और ऐसे लाइन में खाडा रहते हुए घंटे निकाल गया,और finnaly हामारे नंबर आई की अब हामे पासपोर्ट के फीस जमा करना है.और हाम तोह लाइन में पहले से ही घंटो तक लागे थे,लेकिन अचानक से जब हाम फॉर्म और फीस जमा देने जा रहे है तोह अन्दर से साहेब खिड़की बंध कर दिया,और उन्होंने काहा की अब समय का समाप्त हो गया है अब काल आना.फिर मेंने उससे बहुत मिन्नते की और उससे बोला कि देखो साहेब आज हामारे पुरे दिन इसी वजह से खर्च कर दिया और सिर्फ फीस जमा करवाना ही बाकी रह गया है,तोह कृपया करके फीस जमा कर लीजिये.लेकिन उस साहेब ने तोह उसके मिन्नते के उल्टा जवाब देने लागा और कहने लागा की आपने पुरे दिन खर्च किया उसके लिए क्या हाम जिम्मेदार है?आरे इसके लिए सरकार को जादा लोग राखना चाहिए ना.में तोह जबसे आया हु काम पे तबसे आपना काम ही कर राहा हु.
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मेने उनसे बहुत अनुरोध किया फिर भी वोह मानने को तैयार नहीं हुआ.उसने काहा की 2 बाजे तक का समय था और हाम 2 बाजे तक पुरे काम किये अब कुछ नहीं हो सकता है.और में तोह अन्दर ही अन्दर समझ राहा था की इस साहेब ने तोह सुबह से उन् दालालो का ही काम कर राहा था.और जब देखे की बिना दालाल के काम आया तब उसने बाहाने बानाने शुरू कर दिया और समय निकाल दिया.लेकिन हाम भी थोड़े टेड़े है और यह ठान लिया था की बिना उपर से पैसे खिलाये इस काम को अंजाम देना है.और में यह भी समझ गया था की अब काल अगर आये तोह काल का भी पुरा दिन येही निकाल जाएगा.क्यों की दलालों का भीड़ हर खिड़की में लागे रहता है और वोहा हमारे जैसे आम आदमी के नजर तक भी नहीं पहुच सकता है.
एकेले खाना भी क्या जिन्दगी है
इसी तरह के हरकते को देखते हुए मेरे दोस्त ने तोह आशा छोर ही दिया था की आज कुछ होनेवाला है.लेकिन मैंने दोस्त को बोला रुख एक और कोशिस करके ही देखता हु जब इतना समय रुखा तोह.और फिर कुछ समय बाद देखा की उस साहेब ने आप खाने का डाब्बा लेकर अंदर से बाहार के तरफ निकला,और मेरे सामने से होकर वोह चला लेकिन मैंने उससे एक शब्द भी नहीं काहा,लेकिन चुपचाप उसके पीछे के तरफ में भी चलने लागा.और वोह सामने के कैंटीन में गया और एक टेबल में आपना खाने का डब्बा राखा और धीरेसे एकेले में आपना खाना खाने शुरू किया.और में भी उसके टेबल के सामने के कुर्शी पार बैठ गया.और उसने मेरे तरफ देखा और थोडा बुरा सा सक्कल बानाया.लेकिन में उसके मुह के तरफ देखकर थोडा मुस्कुराया हु.फिर मैंने ही उससे बात करने शुरू की और पूछा की क्या आप हरदिन घर से खाना लाते हो?उसने थोडा टेड़े आवाज में जवाब दिया हा हरदिन घर से ही लाता हु.
फिर मैंने उससे काहा की आपके पास तोह बहुत काम है.आप हरदिन नए नए लोगो से मिलते होंगे.और इसके जवाब वोह बहुत गर्बित आवाज में दिया की हा में तोह एक से एक बड़े बड़े अधिकारियों से हरदिन मिलता हु.कोई IAS कोई IPS बिधायक और भी ना जाने कितने बड़े बड़े लोग मेरे यहा आते है.और मेरे कुर्शी के सामने एक से बढकर एक बड़े लोग मेरा इन्तेजार करता है.और वोह साहेब जब यह जवाब दिया तोह में उसके भाबनाओ को समझा और ऐसा लागा की वोह बहुत अहंकारित होकर यह सारे बाते मुझे बाताई लेकिन फिर भी मेने उससे कुछ नहीं बोला में चुपचाप उसके बातो को सुनते राहा.
फिर मेने उससे पूछ लिया कि साहेब में भी क्या एक रोटी आपके प्लेट से खा लू?और यह बात वोह ठीक से समझ नहीं पाया की में क्या कह राहा हु.उसने सिर्फ हा में ही सर हिला दिया और में उसके प्लेट से 1 रोटी उठाली और उसके प्लेट के सब्जी के साथ खाने लाग गया.और वोह साहेब मेरे इस द्रिस्श्यो को देखते रह गया.और मेने उसके खाने की स्वाद का तारीफ़ किया और साथ में यह भी काहा की आपके पत्नी बहुत ही सादिष्ट खाना बानाती है इससे सुनकर भी वोह चुप राहा.
फिर मेने अचानक से उसके साथ गुस्से में समझाने लागा और काहा की आप बहुत ही महत्यय्पुर्नो एक कुर्शी पार बैठते हो.और एक से बढ़कर एक बड़े लोग आपके पास आते है और तुम्हे इज्जत देता है.तोह क्या आप कभी अपनी कुर्शी की इज्जत करते हो?अब वोह थोडा भड़का और मेरी और देखते हुए पूछा की इज्जत,मतलब? फिर मैंने काहा की तुम बहुत भाग्यशाली हो की तुम्हे इतने बड़े एक महत्यपूर्ण जिमीदारी मिला है,और तुम बहुत सारे बड़े बड़े लोगो के साथ डील भी करते हो.लेकिन तुम आपने पद के इज्जत कभी नहीं करते है.
फिर उस साहेब ने मुझे पूछा ऐसा आप कैसे मुझे कह दिया?फिर मेने उससे काहा की जोह काम आपको दिया गया है और उस काम की आप आगर इज्जत करते तोह आज इस तरह से मेरे साथ रूखे ब्याबोहर नहीं करते थे.और मैंने उससे यह भी काहा की देखो तुम्हारे कोई दोस्त भी नहीं है तुम एकेले एकेले कैंटीन में खाना खाते हो ,और आपनी कुर्शी पार मायूस होकर बैठे रहते हो,और लोगो के होता हुआ काम को पूरा करने के बदले में उससे और देर से होने का पूरी प्रयास करते हो.
मान लीजिये कोई एकदम 2 बाजे ही तुम्हारे काउंटर पार पंहुचा तोह तुमने इस बात का लिहाज तक नहीं किया की वोह बेचारे सुभ से लाइन पे खाडा राहा होगा.लेकिन तुमने बिना सोचे एकदम से काउंटर की खिड़की बंध कर दी.जब मेने आपसे अनुरोध किया तोह आपने यह कह दिया की सरकार से हाम कहे की जादा लोगो का बेबोस्था करे.ठीक है मान लीजिये सरकार से बोलकर जादा लोगो का बंदोबस्त करा दू,तोह आपके वैल्यू कोई कम तोह नहीं हो जाएगा?और सायेद यह भि हो सकता है की आपसे यह काम ही छीन लिया जाए.तब आप कैसे IAS और IPS और बिधायक से मिल पायेंगे?
भगबान ने आपको मौका दिया है दुनिया में रिश्ते बानाने के लिए.लेकिन आपका दुर्भाग्ग्यो देखो आप इसका फ़ायदा उठाने के वजह रिश्ते बिगाड रहे हो.मेरा क्या है,काल भी आजाऊंगा,परशु भी आ सकता हु.कोई ऐसा तोह है नहीं की आज काम नहीं हुआ तोह कभी नहीं होगा.और तुम नहीं कोरोगे तोह कोई और साहेब काल करेगा और क्या.लेकिन तुम्हारे पास मौका तोह था किसिसे अपना एक आछा बेबोहार बानानेका लेकिन तुम उससे बिखड दिए.फिर वोह आपना खाना छोरकर मेरे बातो को ध्यान से सुननें लाग गया था.मैंने काहा की पैसे तोह आप बहुत कामा लोगे,लेकिन रिश्ते नहीं कमाए तोह येह्सब बेकार है.तब क्या करोगे इस पैसे का ?क्यों की आपना बेबोहर ही ठीक नहीं रहेगा तोह तुम्हारे घरवाले भी तुमसे दुखी रहेंगे.यार दोस्त तोह आपके कोई है नहीं.यह तोह में देख चूका हु.मेरा देखो आपने दफतर में कभी एकेले में खाना नहीं खाया आजतक.और यहा भी भूक लागी तोह तुम्हारे साथ खाना खाने बैठ गया.अरे साहेब एकेले खाना भी क्या कोई ज़िन्दगी है?
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मेरा यह बाते सुनकर वोह रोने जैसा मुह बाना लिया.और मुझसे कहने लागा की आपने सही काहा साहेब में एकला ही हु,मेरे पत्नी भी झगडा करके आपने माईके चली गयी,और बच्चे भी मुझे पसंद नहीं करता है.और मेरी मा है पार वोह भी मुझसे जादा बात नहीं करती है.हरदिन सुभे 4/5 रोटिया बानाकर दे देती है और में एकेले में वोही खा लेता हु.और रात को काम करने के बाद घर जाने का भी मन नहीं करता है.और समझ में भी नहीं आता है की गड़बड़ी काहा है?
फिर मैंने उन साहेब को धीरे से काहा की खुदको लोगो से जुड़ो.आप अगर किसीको मदत कर सकते है तोह करो.देखो में यहा आपने दोस्त के पासपोर्ट के लिए इतना दूर से आया हु और लाइन में खड़े भी रहा हु,लेकिन मेरे पास तोह पासपोर्ट है.तोह में सिर्फ आपने दोस्त के मदत के लिए ही आया हु ना.और में आपने दोस्त के काम के लिए आपके पास मिन्नते की बिना कुछ सोचे समझे,और आज इसीलिए मेरे पास दोस्त है,और तुम्हारे पास नहीं.यह सारे बातो को सुनने के बाद वोह जब उठा तब मुझे बोला की आप मेरी खिड़की पार पहुचो में आज ही फॉर्म जमा करूँगा.
फिर में उनके खिड़की के पास गया और उसने फॉर्म और फीस जमा कर लिया,और 10 दिन के अन्दर पासपोर्ट बनके तैयार भी हो गया.फिर आते समय उन् साहेब ने मेरे से मेरा contact number माँगा,और में उससे आपने mobile number दे दिया और चला आया.उसके कुछ दिनों बाद दिवालि आया और दिवाली के इस तोहार में मेरे पास बहुत सारे रिश्तेदार और दोस्तों का call आया.और मेने सभीके phone उठाये और सभीको happy diwali का विश किया.और उसी में से एक नंबर से कॉल आया था में फ़ोन उठाते ही वोह बोलने लागा की सवरूप कुमार चोव्धुरी बोल राहा हु साहेब.में तोह पहले पहचान नहीं पाया था ,फिर उसने काहा की कोई साल पहले आप मेरे पास आपके दोस्त के पासपोर्ट बनवाने के लिए आये थे,और याद है की आपने मेरे साथ रोटी भी खाए थे.और आपने उस समय मुझे काहा था की साहेब पैसे की jaiga रिश्ते बानाओ.फिर मुझे उसदिन के घटना सब याद आगया फिर मेने काहा हा जी चोव्धुरी साहेब कैसे है?
फिर उसने काहा की साहेब आप उसदिन चले तोह गए लेकिन मेरा सोचना बहुत चालू हुआ उस दिन से.और उसदिन आपके बाते सुनकर लगा की पैसे तोह सचमुच बहुत लोगो ने ही दे जाते है,लेकिन उसमे से साथ खाना खानेवाला लोग नहीं मिलते है.सब आपने आपने काम से मतलब राखते है और ब्यस्त रहता है.और पाता है आगले दिन ही में मेरे पत्नी के माईके घर गया और उससे बहुत मिन्नते किया फिर भी वोह आने के तैयार नहीं था फिर जब वोह खाना खाने बैठी तोह मेने उसके प्लेट से एक रोटी उठा ली ,और में उनसे काहा की साथ खिलायोगे?वोह यह सुनते ही हैरान हो गयी.और रोने लागी ,और वोह मेरे साथ चली आई और साथ बच्चे भी चला आया.और वोब बोलने लागा की साहेब अब में पैसा नहीं कामाता हु रिश्ते कामाता हु.और जोह मेरे पास आता है उसका काम कर देता हु.
और साहेब आज आपको happy diwali बोलने के लिए call किया हु.और आगले माहीने में ही मेरे बेटी की साधी है और आपको आना है.आपना घर का पाता भेज दीजिये,में और मेरी पत्नी आपके पास आयेंगे.और सबसे बड़े मजे की बात तोह यह है की मेरे पत्नी मुझसे पूछा था की यह पासपोर्ट ऑफिस से रिश्ते कामाने आप कैसे सीखे?तोह में उन्हें पूरी काहानी बातायी.आप मेरे घर के परिबार वालोको नहीं जानते हो लेकिन मेरे घर में आपने रिश्ता जोड़ लिया है.सब आपको जानते है.में भी बहुत सिनी से फ़ोन करने का सोचता था,लेकिन मुझे हिम्मत नहीं जमी.
और आज दिवाली का सुभ मौका मिला तोह किया.साधी में आपको आना है मेरे बिटिया के अशिर्बाद देने.क्यों की रिश्ता जोड़ा है आपने और मुझे एकिन भी है की आप जरुर आयेंगे.वोह ऐसे ही बोलते जा राहा था और में सुनते जा राहा था.कभी सोचा नहीं था की सचमुच उसके जिंदगी में भी पैसे पार रिश्ता भारी पड़ेगा.लेकिन मेरा भाबना तोह सच साबित हुआ की आदमी भाबनायो से संचालित होता है कारानो से नहीं.कारने से तोह मशीन भी चला करती है.
दोस्तों यह काहानि मेरे एक दोस्त के साथ घटे हुए सच्ची काहानी है जोह की में आपके सामने पेश किया हु.तोह आपको यह काहानी कैसा लागा और इस काहानी से आपके क्या भाबना है वोह आप मेरे साथ जरुर शेयर करे कमेंट box का उपोयोग करके.और यह काहानि को जादा से जादा आपने दोस्तों के साथ शेयर करे आपनी इंसानियत की भाबना बदले और हाम एक खुश्मय ज़िन्दगी बिता सके जाहा लोग पैसे से जादा रिश्ते का अहमयित राख सके.क्यों की पैसा इंसान के लिए बानाया गया है,इंसान पैसे के लिए नहीं बानाया गया है.
Aaka yah post kafi achha laga aapne bahut hi badhiya story ko share kiya hain iskeliye Dhnyabad.
aapko yeh kahani pasand aaya iske liye aapko dil se dhanyabad.
Right Info
thanks
wah bhai wah mast article hai
thanks brother
बहुत ही बढ़िया लेख शेयर किया है आपने
thanks brother
Sir ap hamesha badhiya post likhte ho. Main hamesha daily apke readers me se ek hu. Ap age badhte rahna. Aur us tarah se information share karte rahna.
bahut bahut shukriya sir ji,aage se jarur naya naya helpfully post lane ki puri kaushish jari hai.
बहुत ही बढ़िया उपयोगी जानकारी शेयर की है आपने
shukriya ji.