हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको Internetsikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आप जानते होंगे की हामारे इस साईट को बानानेका मूल उद्द्येश्य है की हमेशा आपके हर एक तरह का problems का solution लेकर आना.ठीक उसि तरह आज आपके लिए एक और पोस्ट लेकर आया हु जिसमें में आपको बातानेवाला हु की आप कैसे आपने अन्दर से gussa को कम कर सकते है.
दोस्तों क्या आपको कभी गुस्सा आता है?
और क्या आप सचमे आपने अन्दर से गुस्सा को कम करना चाहते है?या फिर क्या कभी आपको आपके गुस्से के वजह से नुक्सान हुआ है?अगर येह्सब सावालो का जवाब आपको हा में देना पड़ता है तोह आपको यह पोस्ट एकबार जरुर पढना चाहिए क्यों की इस पोस्ट में बहुत ही सरल तरीके से चर्चा करनेवाला हु की कैसे आप आपने अन्दर से गुस्सा को रोक सेकते है.
आपने अन्दर से gussa को कैसे कम किया जाए?
दोस्तों आज में आपको एक ऐसे काहानी के माध्यम से गुस्सा के बारे में समझाऊंगा जिससे कही ना कही आप भी थोड़े बहुत आपने gussa को कम करने में मजबूर हो जायेंगे.तोह कृपया करके पूरी काहनी को पढ़े जिससे आपको पूरी समझ आये.
यह काहानी एक छोटे बच्चे की है,और उसको हर एक बात पार बहुत गुस्सा आता था,और हामेशा गुस्से में ही रहता था.तोह एकदिन उसके पिता के मन में एक idea आया और बच्चो को बोला की यह ले बेटा यह खिल का झोला इसमें बहुत सारे खिल है,और बोला अब तुझे जब भी गुस्सा आएगा तब 1 खिल घर के पीछे के दरवाजे पे ठोक देना.तोह बच्चा यह बात को मान लिया और दिन के अंत तक उसने 37 खिल ठोक पाया था उस दरवाजे पे.ऐसे करते करते एकदिन लकड़ी का दरवाजा भर जाने लागा.लेकिन उसको एहसास हो गया था की खिल ठोकने से आछा तोह अपने gussa को कम करना बहुत आसान है.
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तोह उसने उसके पिता को बोला की पिताजी में आपना gussa अब कंट्रोल कर पाया हु.तोह पिताजी बोला बेटा अब तुझे जितना बार आपनी gussa control कर पायेगा उतनी बार एक एक खिल उस दरवाजे से निकाल देना,तोह उसने यह बात भी मान लिया था और उसने जब भी gussa control करता था और 1 एक खिल दरवाजे से निकाल दिया.फिर पिता को बोला की में सब खिल उस दरवाजे से निकाल दिया.यह सुनकर उनके पिताजी ने बोला well done बेटा और उसका हाथ पकड़कर उस दरवाजे के पास लेकर गया और समझाते हुए काहा की तूने खिल तोह निकाल दिया है दरवाजे से,लेकिन यह लकड़ी में जोह छेद हो गया है यह तोह अब पहले जैसा नहीं राहा है.
तोह इस काहानी से स्सफ पाता चलता है की जब भी आप दुसरे से कभी गुस्से में बात करते है तोह उनके मन में भी कही ना कही चोट पड़ता है जोह की माफ़ी मांगने के बाद भी ठीक नहीं हो पाते है.क्यों की शब्दों से दिए गए चोट इतन गहरा होता है जितना एक शारीरिक चोट में होता है.जब भी आप चाहते ना चाहते ऐसा कुछ कह जाते है जोह आपको नहीं कहना था,तोह यह एक संपर्क में छेद का कम करता है.ठीक उसी तरह जिस बच्चे ने लकड़ी के उपर खिल डालकर छेद किया था लेकिन खिल निकालने के बाद भी उस लकड़ी के दरवाजे से छेद नहीं मिटा था.ठीक उसी तरह से अपने realtion में जोह बंधन पहले जैसा था वोह कभी नहीं बन पायेगा इस gussa के कारन.
तोह सिएक बाद जब भी आपको गुस्से आये उस समय इस छोटे बच्चे का काहानी को एकबार याद करे,हो सकता है आपके गुस्से इससे थोडा बहुत कम करने या फिर बंध करने में मदत करे.उम्मीद करता हु आपको यह जानकारी पसंद आएगा,और जादा से जादा इस पोस्ट को अपने दोस्तों और परिबरो के साथ शेयर करे जिससे हर कोई आपने गुस्से को नियंत्रित कर पाए और एक सुखी जीबन बिताने में सखम रहे.दोस्तों इस पोस्ट से जुड़े आपके मन में किसि भी तरह का साबाल या सुझाब है तोह आप निचे कमेंट box का उपोयोग करके आपके राय बाता सकते है.धन्न्याबाद.