MDH Masala की सफलता की काहानी हिंदी में

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MDH Masala की सफलता की काहानी हिंदी में

हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको internetsikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आजका जोह पोस्ट है बहुत ही interesting है,और इस पोस्ट से हामे बहुत कुछ सिखने को भी मिलेगा.जी हा आज में इस पोस्ट में एक ऐसे कंपनी के सफलता के काहानी शेयर करने जा रहा हु जोह की हमारे भारत में वोह एक बहुत ही लोकोप्रियो कम्पनी में से एक है.और  उस भारतीयों कंपनी का नाम है MDH Masala.और  हाम इस पोस्ट में MDH Masala के सफलता के राज के बारे में बाताने जा राहा हु जिससे आप  समझ सकते है की    इस कंपनी कैसे बना और इसका शुरुवाती का समय इसका हालत कैसा था और इससे सफलता कैसे मिला उसके बारे में बात करेंगे.

MDH Masala के सफलता के राज 

दोस्तों हमलोग जोह हरदिन के जरुरत के अनुसार रसुई में kitchen king मसाला का इस्तेमाल करते है क्या आप जानते है वोह MDH Masala के ही बानाया हुआ है.लेकिन क्या आप जानते है इस छोटा सा मसाला बानानेवाला कंपनी को इतना बड़ा सफलता कैसे मिला था?और इस कंपनी के मालिक ने सफलता अर्जन करने के लिए क्या क्या किया था जोह की इनके नाम से ही सारे प्रोडक्ट मार्किट में बिक राहा था.

क्या आप जानते है कोई सालो से tv पे MDH Masala बेच रहे थे  महाशय धर्म पाल हुलाती (MDH) जी को कभी कोई ब्रांड investors का जरुरत नहीं पड़ा था  क्यों की वोह खुद ही एक ब्रांड था.क्यों की उनके हसमुख चेहरा आछा था ना तोह उनके मसाला आपने आप मार्किट में बिकने लागता था.कहते है ना की समय बहुत बलवान होता है क्यों की जब वोह बदलता है तब राजा को फ़क़ीर और फ़क़ीर को बादशा बाना देता है.ऐसे ही एक काहानी है MDH Masala के ओनर महाशय धर्मपाल जी की जोह 2 आना सबरी कामाने के लिए एक समय पे डेल्ही में घोड़े चालाते थे.और आज देखते ही देखते यह देश के बड़े उद्योग पति बन चुके है.पाकिस्तान के सियाल कोट में महासय धर्मपाल जी के पिता चुन्नीलाल मिर्च मसाला के दूकान चालाते थे जिसका नाम महाशियन दी हट्टी था पार बचपन से ही धर्मपाल जी को स्कूल जाने में कोई इच्छा नहीं था और पढाई में भी मन ना होने के कारन उन्होंने 5th क्लास से ही स्कूल जाना बंध कर दिया था.कभी सुना है स्कूल ड्रॉप आउट अब स्कूल  निकाल जाने के बाद उनके पिता चुन्नीलाल ने उनसे काहा की बेटा अब क्या करेगा?

MDH Masala की success स्टोरी हिंदी में 

काम कर तू कोई हाथ काम ही सिख ले.लकड़ी का आछा काम कारीगर बन जाएगा तोह हो सकता है की काल तू कोई ठीकेदारी बन जाए.धर्मपाल जी ने लकड़ी का काम 8 माहिने तक किया और उसमे उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ.फिर उन्होंने कोई तरह के काम किये है उनके पिताजी ने उन्हें कभी साबुन के फैक्ट्री में काम करने लागाया और कभी चवल के फैक्ट्री में.कापडे से लेकर हार्डवेयर के दूकान तक उन्होंने 15 साल उम्र तक सबी काम करे.बाद में कही पे उनके मन   ना लागने के कारन उनके पिता ने आपने ही दूकान पार बैठा दिया.यह सोचके तुझे कोई तोह सेट करना ही है तोह चल मेरे तरह MDH Masala के कार्बारो में ही लाग जा.और बाद में धर्मपाल के 18 साल के होते ही उनकी साधी भी करवा दी.आपनी तरफ से चुन्नीलाल ने आपने बेटे के आछी ज़िन्दगी के लिए कोई कसर नहीं छोरा.और धर्मपाल ने भी अपने हाथो से मिर्ची कूटते कूटते और पिसते पिसते आपना मसाला का कारबार आगे बाढाना शुरू कर दिया.उनका तभी भी यह मन ना था  और आज भी यह मन ना है की जिसका माल बढ़िया होता है ना उसके पास ग्राहक ऐसे ही आ ही जाते है.उस समय में पाकिस्तान में हिन्दू मुस्लिम दोनों एक साथ रहते थे.

फिर जब 1947 में 15 august को हामारा देश अंग्रेजो के राज से आजाद हुआ तोह पाकिस्तान और भारत के एक बिट्वारा हो गया.उस समय पाकिस्तान ने हिन्दू को लेके कोई खाल्बाली माच गयी और पाकिस्तानियों ने मासूम हिन्दुओ को खुल्ले आम जान से मारने शुरू करदिया.लडकियों को भेड़ बकरियों के तरह से उठा लिया और कोई हिन्दू के दुकाने लुट ली.धर्मपाल और बाकी कोई हिन्दू लोगो को  रातो रात सबकुछ छोर छार के पाकिस्तान से भागना पढ़ा था.जिस ट्रेन से वोह लोग भाग के आरहे थे उस ट्रेन में हिन्दू लोगो के लासे लास बिछा हुआ था.पहली ट्रेन से उनका परिबार refiuge कैंप से निकलकर अमृतसर तक ठीक आगया.दूसरी ट्रेन रास्ते में ही काट दी गयी थी.अमृतसर में उनलोग 1 दिन रूखे और दुसरे ही दिन वोह लोग दुसरे ट्रेन पकड़कर डेल्ही के कोरेर्बर में आपनी बहन के घर रखने आगये.

धर्मपाल जी के पास कुल मिलाकर 1500 रूपया था आपने पिता के दिए हुए जिससे उन्होंने डेल्ही के चांदनी चक से 650 रूपया का घोडा और टेंगा खरीद लिया.और यह सोच के लिया की बास महनत करूँगा और आपने परिबार का पेट भरूँगा.पार हुआ यह की बहुत जादा लोग उन्हें गाली बाली दे रहे थे और direspect कर रहे थे उनसे येह्सब बर्दास्त नहीं हुआ तोह उन्होंने decide किया की जोह आपने बाप का पूंजी का busniess था ना उसीको कंटिन्यू करते है में मसाला बानाउंगा और उससे बेचूंगा यह सब छोरते है और जोह आता है वोही काम करते है.

उसके बाद उन्होंने आज्माल रोड पार एक बहुत छोटा सा दूकान खोली और उपर लिख दिया महाशियन दी हट्टी सियाल कोट वाले और वोहा पार उन्होंने मिर्ची कुटना और मसाला तैयार करना शुरू कर दिया था.धीरे धीरे लोगो को पाता चलने लागा की जोह पाकिस्तान सियाल कोट में जोह देगी मिर्च वाले थे ना वोह यहा आ चुके है.और उनके मसाला के quality भी इतना दमदार निकालकर आराहा था की उनकी दुकान पे लोगो की भीड़ लागने शुरू हो गए.आपनी quality और इमानदारी पार धीरे धीरे एक दूकान से दूसरा दूकान दूसरा दूकान से तीसरा दूकान बानाते रहे.ऐसा नहीं की इस धंधे में उन्हें दिक्कते नहीं आया 1000 दिक्कते आया पार वोह रूखे नहीं.सामने से हर दिक्कते को सामना किया.1968 तक आते आते उन्होंने डेल्ही में आपने मसाला के कारखाना भी बाना लिया.फिर फुल on डिमांड के साथ उनके मसाला पुरे भारत और बाहार के देशो में भी एक्सपोर्ट होना शुरू हो गया था.

पार आज उनकी महाशियन दी हट्टी (MDH) एक बहुत बड़ा ब्रांड बन चूका है.आपने माता पिता के याद में आज उन्होंने कोई हॉस्पिटल्स,schools और चैरिटी ट्रस्ट भी खोल राखे है.चाहे वोह corers रूपया कामाते है लेकिन आज भी 93 years उम्र में वोह सुभे 4.45 am को उठ जाते है.उनके कह हुए 3 बाते जोह हाम सभीको दिमाग में राखना चाहिए

”इमानदार रहो जीबन में 

महनत बहुत करो 

मीठा बोलो सबके साथ ”

और भगबान के उपर भरोसा राखो फिर आपनी माता पिता की आशिर्बाद से आप आगे आगे आयोगे.तोह दोस्तों यह था MDH Masala के सफलता के काहानी.आपको यह काहानी से आपको क्या सिख मिला यह आप जरुर मुझे कमेंट करके बाता सकते है.

Mithun
हेल्लो दोस्तों मेरा नाम मिथुन है,और में इस वेबसाइट को 2016 में बानाया हु.और इस वेबसाइट को बानानेका मेरा मूल मकसद यह है की लोगो को इन्टरनेट के माध्यम से हिंदी में इन्टरनेट की जानकारी प्रदान करना.इसीलिए इस वेबसाइट का नाम Internetsikho राखा गया है.

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