जीबन में पैसा ही सबकुछ मायने नहीं रखता है

0
जीबन में पैसा ही सबकुछ मायने नहीं रखता है

हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको Internetsikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आज हम इस पोस्ट में आपके साथ एक सच्ची घटनाये शेयर करनेवाला हु जिसमे आपको यह पता चलेगा की जीबन में पैसा से बढ़कर भी कुछ चीजे है.

जीबन में पैसा ही सबकुछ मायने नहीं रखता है

एक बार की बात है जब एक गाँव में एक पारिबार में आम का बेपर चलता था.और उन दिनों में उस घर में गर्मियों में आमो का भंडारा लगता था.और उस घर में बहुत सारे आमे आता था.और एक दिन उस घर के सामने एक ताला बेचने वाला बुढा आदमी आया.वोह आदमी कम से का 70-80 साल का होगा.वोह आदमी अत्यंत बुढा होने के बाद भी घर घर घूमकर इस भिसन गर्मी में ताला और चाबी बेचता था.और हामारे घर का चाबी बहुत ही पूराना हो गया था इस वजह से मेरे पापा उससे रोका और एक बड़ा ताला खरीद लिया.और मैंने कहा की साईकल का की cycle का भी एक lock खरीद लीजिये पहले वाला इतना अच्छा नहीं है.लेकिन ने पापा ने माना नहीं और इस बात को टाल दिया.

जीबन में पैसा ही सबकुछ मायने नहीं रखता है

और उस चाबी वाले के ब्रिध्य अबस्था उर पसीना को देख कर पापा ने उससे जाने से रोका.और उसे आपने घर के अन्दर बुलाया और पानी पिलाया.फिर उन्होंने मुझे कहा की बाबा को आम कटकर खिलाओ.मैंने दो ऍम कटकर एक प्लेट में दिया.लेकिन बाबा ने आम खाने से इनकार आकर दिया और कहेने लगा की में इससे नहीं खाऊंगा इससे में घर ले जाऊंगा.फिर पापा ने वजह पूछा तोह बताया की उनके घर में एक बूढी पत्निया है वोह यह आम देखकर बहुत खुश हो जायेगा.

फिर पापा ने उससे कहा की आप आराम से आम खाइए में आपकी पत्नी के लिए अलग से आम दे दूंगा.फिर उन्होंने आम खाया.फिर पापा ने एक पालीथीन में करीबी 1 किलो आम बंधकर उन्हें दिया.इसके बाद बाबा कफी भाबुक महसूस कर रहा था.फिर जब पापा ने ख़रीदे हुए ताला के पैसे देने की कौशिश की तोह वोह पैसे लेने से इंकार करने लगा.लेकिन पापा ने जबरदस्ती उनके कुरते के पॉकेट में 100 का note दाल दिया.ताला बहुत बडा था 100 के उपर क अहि होगा.और बाबा चला गया.

फिर जब शाम हुआ और हम घर के बहर अंगने में आये तोह देखा की एक cycle का lock रखा था चाबी के साथ.और वोह लॉक था जोह में खरीदना चाहता था.निसंदेह बाबा ने ही जब बुझकर यह लॉक यहाँ छोड़कर गया है.उस दिन से यह एकिन हो गया था की लाख पैसा कामालो पार ख़ुशी हमेशा पयार ही देता है.पैसा साधन बन सकता है पार सिर्फ पैसा केबल अभिमान ही दिला सकता है प्रेम नहीं.

तोह दोस्तों इस कहानी से हमें यह पता चलता है की हमारे पास कितने भी पैसा क्यों ना हो फिर हम खुस नहीं हो सकता है.पयार से ही हमें खुसी मिलता है जोह हमें इस कहानी से पता चलता है.उम्मीद है यह काहानी आपको पसंद आयेगा और इस कहानी से जुड़े हुए आपके मन में किसी भी तरह के सावाल/सुझाब रहता है तोह आप निचे कमेंट box में मेरे साथ साँझा कर सकते है.धन्यबाद.

Mithun
हेल्लो दोस्तों मेरा नाम मिथुन है,और में इस वेबसाइट को 2016 में बानाया हु.और इस वेबसाइट को बानानेका मेरा मूल मकसद यह है की लोगो को इन्टरनेट के माध्यम से हिंदी में इन्टरनेट की जानकारी प्रदान करना.इसीलिए इस वेबसाइट का नाम Internetsikho राखा गया है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.