हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिर से आप सभीको internet sikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आज अप सभी ने जानते ही होंगे की आज dussehra का दिन है .और यह एक बहुत ही खुसी के दिन में आप सभीको में दिल से इस dussehra का बाधाय देना चाहता हु .
दशहरा का ये प्यारा तोहांर आपके जीबन में लाये खुशियाँ ओपार
श्रीरामजी करे आपके घर में सुख की बरसात
सुभ कामना हामारे करे सिकार
बैदिक काल से ही भारतीयों संस्कृति बीरता की पूजक और और इस्सराए के उपासक रहा है.हामारे संस्कृति की गाथा इतना निराली है की देश के अलावा बिदेशो में भी इसकी गूंज सुनने को मिलता है.इसीलिए पूरी दुनिया में भारत को बिस्शो गुरु के नाम से माना जाता है .और आज ऐसे ही आपके लिए एक जानकारी लेकर हाजिर हु जिसमे आपको बातानेवाला हु की हमसब क्यों मानाते है dussehra?
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हमसब dussehra क्यों मानाते है?
दोस्तों भारत के कुछ प्रमुख तिवारो में से एक तिवार है dussehra और इससे विजया दशमी के नाम से भी जाना जाता है.dussehra सिर्फ एक तिवार ही नहीं वल्कि इसमें कोई बातो का प्रतिक भी माना जाता है.इस तोहार के साथ कोई धार्मिक मान्न्याताये और काहानी भी जुड़े हुए है और इस तोहर को देस बिदेश में बुराई पार आछाई के रूप में जीतने के लिए हाम सभी इस तेहर को मानाते है.और इस पबित्र परब को दसमी को देश के कोने कोने में बड़े आनंद और उल्लास के साथ मानाया जाता है.क्यों की यह तेहर ही हर उल्लास और विजय का प्रतिक है .दोस्तों आपको बाता दू की dussehra में रावन के 10 पापो को मिटाया जाता है काम,क्रोध ,मोह ,लोभ ,हिंसा ,अलस्य,झूट ,अहंकार ,मद ,और चोरी इन् सभी पापो से हाम किसि ना किसी रूप से मुक्ति चाहते है.और इस dussehra के समय में हर साल रावन का पुतला बड़े से बड़े बानाकर हाम सभी dussehra के दिन जालाते है .और ऐसा हाम सभी का मानना है की हामारे अन्दर के सारे बुराइया भी इस पुतले के साथ अग्नि में जल जाते है.लेकिन दोस्तों क्या ऐसा होता है की रावन के पुतली जालाने से ही हमारे सब पाप मुक्त हो जाएगा?नहीं क्यों की हमारे समाज के बुराइया सच में रावन के पुतले के साथ अग्नि में जल जाता तोह क्या हाम हर बार रावन के पुतले को बड़े से बड़े बानाते ,और इसका जवाब कभी नहीं ,और इसका मतलब यह निकलता है की समाज में दिनों दिन बुराइया और असमंतायाये रावन के पुतले के तरह बड़े होते जा रहे है.कहने वाला बात तोह यह है की हाम यह परबो पार फिर परंपरा निभाते है.इन तेहर से यह संकेत और संदेशो को अपने जिबन में कभी नहीं उतार पाते है.यह हामे यह सन्देश देता है की अन्न्याई और अधर्म का बिनाश तोह हर हाल में निश्चित है फिर चाहे आप दुनियाभर के शक्ति से जुड़े क्यों ना हो.आगर आपका आचरण सामाजिक गरिमा या किसी भी बेकती के बिशेष के प्रति गलत होता है तोह आपका बिनाश भी तय है .
dussehra के दिन हमसब क्या क्या करते है?
dussehra तथा नाइ नैतिकता शक्ति और बिजय का पर्ब है.लेकिन आज में इस पर्ब में इन सभी बातो को भूलकर सिर्फ मनोरंजन तक ही सिमित राखते है .दोस्तों हर युग में अन्न्याई ,अहंकार ,और अत्त्याचार और आतंकबाद जैसे कलंकरुपी असुर रहे है .भारत के इतिहास गवा है की त्रेता युग में रावन ,मेगनाथदार का अद्दिक ,दपर युग में कंस ,पूतना ,दुर्योधन ,सकुनि ,और आज इस कोलियुग में आतंकबादी है ,अन्न्याई और आतंकबाद जैसे असुर पनपते रहे है और पनपते जा रहे है .त्रेता में भी श्री राम और दापोर में भगबान श्रीकृष्ण को आछाई का प्रतिक माना जाता है.क्यों की उन्होंने आपनी इच्छा शक्ति के बल पार अधर्म के घर की बिजय प्राप्त की थी.और भगबान श्री राम और भगबान श्री कृष्णा जैसे वीर भी आपने जीबन संघर्स से बंचित नहीं रह पाए ,और हाम तोह एक सामान्य मानुष है.
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आपने जीबन में संघर्स से कैसे बांच सकते है?
भगबान श्री राम के संपूर्ण जीबन से हामे आदर्श और मर्यादा की सिक्षा देता है.की हर बेकती के जीबन में सुख दुःख तोह आते जाते रहेगा ,क्यों की येही सृष्टि का एक अटल नियम है .क्यों की हामे आपना जीबन में सब परेशानिया में होते हुए भी हिम्मत और आसा के साथ ही जीना है.वल्कि इस जीबन को इस्स्श्वर की दान समझकर आपने जीबन को सार्थक बानाना चाहिए .प्रभु श्रीराम और रावन दोनों ही शिव जी का उपशक था ,लेकिन दोनों के सोच अलग अलग है क्यों की रावन के साधना और भक्ति स्वर्ग बिलास समाज को दुःख देना है ,जबकि प्रभु श्रीराम जी के साधना उपोकर ,नाइ ,मर्यादा ,शांति ,सत्य और समाज कल्ल्यान के उद्दश्य में था. तभी तो इतनी सालो बाद भी आज हाम प्रभु श्री राम की जय से रावण के पुत्तले का अंत करते है,और dussehra के इस पार्बन पार हमसब यह सोचने के लिए बाध्य होते है की देश और समाज की प्रगति के लिए हम आपनी सबकी बुराईयों को भी रावन के पुतले के साथ सदा सदा के लिए जाला देंगे.और समाज और देश की उन्नोती के लिए काम करेंगे तभी हामारे सही महीने में रावन देह बिजय होंगे.आजके युबाओ देश की भाबिस्यत है और उनके सोच में यह बदलाब लाया जाए तोह समाज में बुराइयों का असर पुर्नोरूप से अंत हो जाएगा.तोह दोस्तों यह कुछ पौराणिक दिनों के बातो को ध्यान राखते हुए यह पोस्ट को लिखा हु ,और मुझे उम्मीद है की आपको इस dussehra से जुड़े है जानकारी पसंद आएगा .और इस जानकारी को आपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.और ऐसे ही हरदिन एक नए पोस्ट आपके मेलबॉक्स मे पाने के लिए internet sikho को subscribe करना ना भूले .और यह जानकारी आपको कैसा लगा आप जरुर निचे मेरे साथ कमेंट Box में बताना ना भूले,धन्यबाद.