हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिरसे आप सभीको internet sikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों क्या जीबन में आपने आजतक किसीको कुछ दिया है?अगर नहीं तोह सायद आप उस आनंद को नहीं जानते.जोह किसी दुसरे ब्यक्ति को मदत करने से प्राप्त होता है.उस आनंद की कोई सीमा नहीं होता है.लेकिन में आपको उस आनंद का अनुभब करा सकता हु.उस आनंद की प्राप्ति ले लिए में आपको आज एक काहानी शेयर करने जा राहा हु प सभीसे.तोह कृपया करके पूरा पोस्ट को पढ़े.
sikke भरे हुए एक जुते की दिल्चस काहानी
एकबार एक गुरु और सिस्स्य कोई काम से बाहार घुमने निकला था तोह जैसे एक रास्ते से गुजर राहा था तोह उन्हें रस्ते में यह दिखाई दिया की वोहा पे पुराने एक जोड़े जूते राखा हुआ था.तोह उन्होंने आसपास देखा की एक आदमी सामने के खेत पार काम कर राहा था.तोह उन्होंने सोचा की यह जुते इसी गरेब मजदुर का ही होगा.तोह उन्होंने देखा की वोह इंसान आपने काम ख़तम करके घर जा राहा था.तोह सिस्स्यो ने एक मजाक सोचा और वोह आपने गुरु से काहा की गुरूजी क्यों ना हाम यह जूते कही पे छुपा दे झाड के पीछे और फिर देखते है झाड के पीछे से की मजदुर क्या करते है.और इससे देखकर हामे बड़ा मजा आनेवाला है.तोह गुरु ने इस बात को सुनने के बाद काफी गंभीरता से आपने सिस्स्यो को बोला की किसी गरीब के साथ इस तरह के मजाक नहीं करना चाहिए.क्यों ना हाम इस जूते में कुछ sikke दाल दे.
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और चुपके से ही देखते है की इसपर इस परिस्थिति में मजदुर का क्या प्रभाब पढता है.तोह सिस्यो ने ठीक ऐसे ही किया उसने दोनों जूते में sikke दाल दिए.और नस्दिक के झाड के पीछे दोनों चुप गए तोह मजदुर जल्दी आपनी आपना काम ख़तम करके जब जूते के jaige पे आया और जैसे ही उसने एक पैर जूते में डाले और उससे तब किसी कठोर चीज का अनुभब हुआ और उसने जल्दी से जूता आपने हाथ में लिया और देखा अन्दर कुछ sikke पड़े थे.तोह उससे बड़ा अस्चर्य हुआ और उस सिक्के हाथ में लेकर बड़ा उलट पलट के देखा और फिर उसने इधार उधार देखा की कोई इनसान तोह नहीं है जीसके है यह sikke. और उन्हें दूर दूर तक कोई नजर नहीं आया तोह उसने उस sikke को आपने जेब में दाल लेते है,अब जब दुसरे जूता उठाया उसमे से भी कुछ sikke निकाल पढ़े.
तोह इससे मजदुर काफी भाबुक ही गया और उसके आँखों से आंसू गिरने लागे.तोह उसने तुरंत अपने हाथ जोड़े और तुरंत उपर आकाश को देखने लागा.और उसने यह काहा यह भगबान समय पार प्राप्त इस सहायता के लिए अंजान बेकती का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हु.
क्यों की उसकी सहायता और दयालुता के कारन आज मेरी बीमार पत्नी को दाबाई और भूके बच्चे को रोटी मिल सकेगा.तोह मजदुर की बाते सुनकर सिस्स्यो की आँखे आंसू से भर गया.तब गुरु ने सिस्स्यो से काहा की क्या तुम्हे तुम्हारे मजाकवाले बात के तुलोना में जुते मिएँ सिक्के डालने से ख़ुशी मिली है.सिस्स्यो ने बोला आपने आज जोह मुझे पार्ट सिखाया है उससे में जीबनभर नहीं भूलूंगा.आज में उन शब्दों का मतलब समझ गया जिन्हें में पहले कभी समझ नही पाया था.की लेने की अपेक्षा देने में कोई गुना जादा आनंद प्राप्त होता है.देने का आनंद असीम होता है.क्यों की देना एक बहुत ही अच्छा एक देब्ताओ का गुन है.तोह दोस्तों आप भी अगर इस आनंद का अनुभब करना चाहते है तोह किसी दुसरे की मदत करके देखिये आपको भी इस आनंद का अनुभूति होगा.और इससे आपको अन्दर से भी बहुत आछा अनुभब होने लागेगा.तोह दोस्तों उम्मीद करता हु की आपको इस sikke भरे हुए काहानी पसंद आया.इस काहनी से जुड़े हुए आपके जोह भी सुझाब है आप निचे कमेंट box का प्रयोग करके बाताने ना भूले.